हम करेंगे गर साज़िश शमा से
तो उजाले बिख़र जाएँगे
मिटा दे गर रंजिशों को दिल से
तो हर रिश्तें सँवर जाएँगे
इम्तिहाँ गर ज़िंदगी ले हम से
हम भी हद से गुज़र जाएँगे
माना की सच्चे लोग कम हैं
पर ढूँढने से ख़ुदा भी मिल जाएँगे
हौसला, हिम्मत, जज़्बा साथ है
ये ज़िंदगी इसके दम पे जीत जाएँगे
--सुनीता
No comments:
Post a Comment