Wednesday 12 February 2014

तुम लौट आना

उदास जब भी,
तुम कभी होना !
बीते लम्हों को,
तुम याद कर,
लौट आना.....
नींद जब भी,
दूर तलक हो,
आँखों से !
तुम हसीँ ख़्वाब सा,
वापस आ जाना.....

तेरा नाम जब भी,
मेरे लब पे आए !
तुम मुस्कुराते हुए,
लौट आना.....
सजदा जब भी,
मैं खुदा का करूँ !
तुम दुआओं में,
मेरी आ जाना…..

--सुनीता

9 comments:

  1. तेरा नाम जब भी मेरे लव पे आए....वाह सुनीता जी वाह...अल्फाजों को सहेजना कोई आपसे सीखे...बहुत सुंदर प्रयास

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  2. तुम दुआओं में मेरी आ जाना...बहुत खूब सुनीता जी ....
    संजीव चौहान

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  3. बहुत उम्दा सुनीता सरफ्जी ...सुंदर सृजन

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  4. ......तुम हसीँ ख़्वाब सा,
    वापस आ जाना.....
    निष्पक्ष सजीव चित्रण बहुत भी सराहनीय है.

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  5. सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति आपकी। हार्दिक बधाई

    एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ

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